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उत्तर प्रदेश एक बार फिर दंगों की चपेट में है। मुजफ्फरनगर जिले में दो समूहों में भड़की हिंसा में मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अधिकारियों के मुताबिक अब तक 28 लोगों की जान चली गई है और 40 लोग घायल हुए हैं। मुजफ्फरनगर में भड़की हिंसा अखिलेश सरकार की लापरवाही का नतीजा बताया जा रहा है। वैसे यह पहला मामला नहीं है जब उत्तर प्रदेश की जनता हिंसा का शिकार हुई हो। अखिलेश यादव के डेढ़ वर्ष के शासन काल में जनता कई बार सांप्रदायिक हिंसा देख चुकी है।
उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही हिंसा को कोई सपा सरकार की विफलता के रूप में देख रहा है तो कोई इसे आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी और सपा की पूर्वनियोजित योजना का हिस्सा बता रहा है। अंत में इस पूरे घटनाक्रम को राजनीति से प्रेरित बताया जा रहा है।
आज का मुद्दा
आपके हिसाब से मुजफ्फरनगर की सांप्रदायिक हिंसा एक सामाजिक घटना है या फिर राजनीति से प्रेरित?
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