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क्या फिर से सीबीआई के गठन की जरूरत है?

Today`s Controversial Issues
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अब तक जिस केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के दुरुपयोग को लेकर केंद्र सरकार के ऊपर आरोप लगाए जा रहे थे, आज उसके अस्तित्व पर ही एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया गया है. गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक चौंकाने वाले फैसले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को गैरकानूनी ठहरा दिया है. हाईकोर्ट ने गठन से लेकर अब तक सीबीआई की सारी कार्यवाहियों को ‘असंवैधानिक’ करार दे दिया है. गुवाहाटी हाईकोर्ट का कहना है कि सीबीआई का गठन गृह मंत्रालय के एक प्रस्ताव के जरिए हुआ है इसलिए मामला दर्ज करने, आरोपियों को गिरफ्तार करने, तलाशी लेने जैसी सीबीआई की कार्यवाही, संविधान की धारा-21 का उल्लंघन है.


पीटीआई रिपोर्ट के मुताबिक अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि ‘सीबीआई के गठन के लिए गृह मंत्रालय का प्रस्ताव न तो केंद्रीय कैबिनेट का फैसला था और न इन कार्यकारी निर्देशों को राष्ट्रपति ने अपनी मंजूरी दी थी.’ आपको बता दें कि सीबीआई की स्थापना 1 अप्रैल, 1963 को गृह मंत्रलाय के एक प्रस्ताव के जरिए हुई थी. कोर्ट के इस फैसले के बाद राजनीतिक  जगत में भूचाल सा आ गया है. गत शुक्रवार को केंद्र सरकार ने यह कहा था कि गुवाहाटी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी. उल्लेखनीय है कि सीबीआई के पुनर्गठन के लिए पहले भी कई बार सामाजिक संस्थाओं द्वारा मांगे उठाई जा चुकी हैं और अब यह मुद्दा एक बार फिर से सक्रिय हो चुका है कि क्या पुन: जांच संस्था सीबीआई के गठन की जरूरत है?


आज का मुद्दा


क्या फिर से सीबीआई के गठन की जरूरत है ?

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