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आठ दिसंबर को दिल्ली में चुनावी परिणाम के बाद हर किसी की नजर 28 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी पर थी। भाजपा भले ही 32 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी लेकिन हर कोई ‘आप’ की बात कर रहा था। अटकलें लगाई जा रही थीं कि ‘आप’ कांग्रेस और भाजपा के समर्थन से सरकार बनाना चाहेगी या नहीं। आज उन सभी अटकलों पर विराम लग गया। दिल्ली में कई जगह जनमत संग्रह कराए जाने के बाद आम आदमी पार्टी कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने जा रही है।
आम आदमी पार्टी के इस फैसले से जहां उनके विरोधियों ने उनके ऊपर राजनीतिक अवसरवाद का आरोप लगाया और भ्रष्टाचार से समझौता करने वाली पार्टी बताया वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के समर्थक इसे जनता की राय के रूप में ले रहे हैं। इन समर्थकों का मानना है कि ‘आप’ की सरकार आने वाले समय में अच्छा काम करके दिखाएगी तो अपने आप सबके मुंह बंद हो जाएंगे।
आज का मुद्दा
‘आप’ का सरकार बनाना जनहित है या फिर राजनीतिक अवसरवाद?
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