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एक तरफ जहां दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल व्यवस्था को चाक-चौबंद बनाने के लिए नित नए-नए घोषणाएं और कार्यवाही कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली के पड़ोस उत्तर प्रदेश में सारे नियम-कानून तथा मानवीय मूल्यों को ताक पर रखकर अखिलेश यादव और उनके बड़े मंत्री मौजमस्ती और विदेशी दौरे करने में व्यस्त हैं.
कड़ाके की ठंड में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा करोड़ो रुपए खर्च करके सैफई महोत्सव मनाए जाने को लेकर विपक्ष की तीखी आलोचनाओं के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का पैतृक गांव बुधवार को शाम फिल्मी सितारों की चकाचौंध से सराबोर रहा, वहीं पांच घंटे की दूरी पर स्थित मुजफ्फरनगर में दंगा पीड़ित ठंड और बीमारियों से मर रहे हैं. यही नहीं अखिलेश सरकार के कई मंत्री अपनी जिम्मेदारियों को भूलकर विदेशी दौरे पर हैं. हालांकि राज्य सरकार इस दौरे को स्टडी ट्रिप बता रही है.
वास्तविकता से बेखबर अखिलेश सरकार पर अब सवाल उठाए जा रहे हैं कि लगातार हो रहे दंगों, सपा विधायकों की गुंडागर्दी के बीच मुलायम और अखिलेश को मौजमस्ती से हटकर थोड़ा भी वक्त नहीं है कि वह दंगा पीड़ितों से जाकर मिलें और प्रशासन की सुध लेने की जहमत उठा सकें.
आज का मुद्दा
इंसानियत खो चुकी है उत्तर प्रदेश सरकार?
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