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सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए राष्ट्रीय दल कांग्रेस ने ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में यह निर्णय लिया कि राहुल गांधी अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं होंगे, लेकिन वह पार्टी के चुनाव अभियान की कमान संभालेंगे।
कांग्रेस के इस फैसले को हर कोई भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी का असर बता रहा है। लेकिन इस फैसले का दूसरा पक्ष कुछ और ही बयां करता है। कुछ राजनैतिक विश्लेषकों के अनुसार कांग्रेस ने इस फैसले के जरिए लोकतंत्र की गरिमा का ख्याल रखा है। संसदीय शासन प्रणाली में चुनाव से पूर्व प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का एलान करना उचित नहीं माना जाता। इसके विपरीत भाजपा ने पार्टी की तरफ से पीएम पद के उम्मीदवार का एलान करके बहुत पहले ही संवैधानिक संसदीय ढांचे को कमजोर करने की कोशिश की।
आज का मुद्दा
भाजपा के विपरीत कांग्रेस ने पीएम पद के उम्मीदवार का ऐलान न करके संसदीय लोकतंत्र की मर्यादा का ख्याल रखा ?
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