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1993 में दिल्ली के युवक कांग्रेस कार्यालय पर हुए बम धमाके के दोषी खालिस्तानी आतंकी देवेंदर पाल सिंह भुल्लर की फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक राहत दी है। इस हमले में तत्कालीन युवा कांग्रेस अध्यक्ष मनिंदरजीत सिंह बिट्टा को निशाना बनाया गया था। हालांकि वह बच गए लेकिन इस विस्फोट में नौ सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी और 25 लोग घायल भी हुए।
कोर्ट द्वारा भुल्लर को फांसी की सजा सुनाई गई थी, लेकिन भुल्लर की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने के लिए याचिका दायर कर रखी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए।
खालिस्तानी आतंकी देवेंदर पाल सिंह भुल्लर का मामला शुरू से ही संवेदनशील रहा है. एक तरफ जहां कांग्रेस और अन्य दूसरी पार्टियां इस मुद्दे पर एक दिखाई दे रही हैं तथा भुल्लर की फांसी की मांग कर रही हैं वहीं दूसरी तरफ भाजपा-आकाली दल के बीच इस मुद्दे पर कई बार मतभेद सामने आ चुके हैं। पंजाब में दोनों दलों की गठबंधन सरकार है। शिरोमणि अकाली दल भुल्लर की सजा माफ किए जाने के पक्ष में है, जबकि भाजपा इसके विरोध में। आज जब फिर भुल्लर का मामला सामने आया है तो राजनीतिक दलों के बीच टकराव होने की संभावना है।
आज का मुद्दा
कितनी सही है आतंकी की सजा पर राजनीति ?
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