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मिशन 2014 के मद्देनजर एक तरफ जहां पूरे देश में कांग्रेस और बीजेपी जैसी राष्ट्रीय पार्टियां मतदाताओं को लुभाले के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी भी धीरे-धीरे अपने पत्ते खोल रही है। इस बीच गठबंधन के इस दौर में तीसरा मोर्चा भी कहीं ना कहीं सक्रिय दिखाई दे रहा है।
समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव और बिहार के मुख्यमंत्री तथा जेडीयू नेता नीतीश कुमार की तीसरे मोर्चे की कवायद राष्ट्रीय दलों की उम्मीदों पर पानी फेर सकती है। अपने एक बयान में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए में वापसी की किसी भी संभावना को खारिज कर नए मोर्चे के गठन की बात कही है। जिस विश्वास के साथ नीतीश कुमार नए मोर्चे के गठन बात कह रहे हैं कहीं ना कहीं उनके मन में भी प्रधानमंत्री बनने की इच्छा साफ दिखाई दे रही है।
राजनैतिक विश्लेषक मानते हैं कि तीसरे मोर्चे की सक्रियता का असर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर ज्यादा नहीं पड़ेगा, लेकिन भाजपा का जरूर खेल बिगाड़ सकता है। जबकि कुछ अन्य लोगों का मानना है कि बिहार में नीतीश और उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह का असर बिलकुल ही नगण्य हो चुका है। हाल का सर्वे यह बताता है कि मोदी के आगे यह दोनों नेता बिलकुल ही फीके दिखाई दे रहे हैं।
आज का मुद्दा
क्या तीसरा मोर्चा नीतीश-मुलायम का सपना पूरा कर सकता है ?
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