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चुनाव नजदीक आते ही आरोप-प्रत्यारोप का दौर अपने चरम है। पिछले दिनों बिहार के किशनगंज जिले में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) की शाखा का शिलान्यास करने के बाद कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने बीजेपी पर सत्ता की खातिर समाज में सांप्रदायिकता का जहर घोलने और महात्मा गांधी की विचारधारा को नुकसान पहुंचाकर तहस-नहस करने का आरोप लगाया। सोनिया ने कर्नाटक की रैली में भी यह बात दोहराई।
जवाब में भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के मेरठ में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने ‘बांटो और राज करो’ के आधार पर कई सालों तक शासन किया और उसने ही यह जहर बोया है।
अगर देखा जाए तो मोदी की बात में कहीं ना कहीं सच्चाई है। कांग्रेस को शासन करने का ज्यादा मौका मिला है तो इस हिसाब से पार्टी ने समाज में संप्रदायवाद, जातिवाद और वर्गवाद के रूप में जहर घोलने का काम ज्यादा किया है, यह कोई भी समझ सकता है। लेकिन भाजपा भी जनता द्वारा दिए हुए तमाम मौकों पर इस बात को साबित करने में असफल रही है कि संप्रदायवाद और जातिवाद के मामलों पर उसकी पार्टी कांग्रेस से अलग है।
आज का मुद्दा
किसको मिलना चाहिए समाज में “जहर घोल पार्टी” का दर्जा ?
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